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लक्षण और कारण:
गायों को कीचड़, गोबर, मूत्र से सनी जगह न रखे क्योंकि यहाँ पर प्रचुर मात्रा में रोगाणु होते हैं। गंदे पानी के पोखर में स्नान करने से जानवर के शरीर पर कीचड़ और गंदगी जमा हो जाती है। इसमें कई बीमारियाँ होती हैं। तो पशु को चर्म रोग हो जाता है। खुजली, और एक्जिमा आदि रोग से जानवरों की त्वचा को पीड़ होने की सम्भावना बढ़ जाती है। वह हिस्सा सूज जाता है।पशुओं में थकावट दिखाई देती है।जानवर अपने शरीर को पेड़ से या दीवार पर रगड़ कर खुजलाने का प्रयास करता रहता है। पशु दर्द का अनुभवकरता है। वह भोजन करना छोड़ देता है तथा शीघ्र ही दुर्बल हो जाता है। उसकी दूध उत्पादन क्षमता में कमी आ जाती है।
बीमारी को रीवर्स करने में प्रयुक्त पदार्थ:
500 ग्राम | गौमूत्र (Cow Urine of Indiginious Breed) | 100 ग्राम | नीम के पत्ते (Azadirachta indica) |
100 ग्राम | गाय का गोबर Cow Dung of Indigenous Cow | 50 ग्राम | करंज (Pongamia pinnata) |
50 ग्राम | नमक | 20 ग्राम | हींग (Asafoetida) |
50 ग्राम | लसुन | 25 ग्राम | हल्दी |
50 ग्राम | सीताफल के पत्ते Sugar-apple leaves | 25 ग्राम | तंबाकू (Tobacco) |
50 ग्राम | आक (मदार) Calotropis gigantea | 20 ग्राम | शुद्ध गंधक Sulphur powder |
25 ग्राम | चूना | 25 ग्राम | भीलावा Semecarpus Anacardium Seeds |
50 ग्राम | अडूसा Adhatoda Vasica | 25 ग्राम | नीला थोथा Copper Sulphate |
25 ग्राम | चोपचीनी Smilax China | 25 ग्राम | नौसादर Sal Ammoniac |
उपरोक्त सामग्रियों से, अपने क्षेत्र में जितना हो सके उतने पदार्थों का उपयोग करें।
कैसे बनाएं:
उपरोक्त आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को काट कूट कर तथा बारीक पीसकर गोमूत्र में डालकर अच्छी तरह उबाले। ठंडा होने पर तैयार मिश्रण को छानकर स्टील, मिट्टी या कांच के बर्तन में रख ले।
इस दवा का उपयोग 90 दिनों तक किया जा सकता है।
उपयोग कैसे करे:
उपरोक्त गौमूत्र से निर्मित दवा को दिन में तीन से चार बार पशु के शरीर पर रगड़ें। सात दिन तक मालिश करें।
सावधानियांः उपरोक्त दवाइयां जहर युक्त होने के कारण अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें। पशु के थानों को बोरिक पाउडर या डेटोल से अच्छी तरह धोने के बाद ही दूध निकाले और अंत में थोनों को स्वच्छ पानी से धो ले।
परिणाम:
गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड जैसे अनेक जंतु नाशक पदार्थ है। यह पदार्थ सफाई का काम करते हैं। इसमें नीला थोथा, तंबाकू, लहसुन और गंधक जैसी आयुर्वेदिक औषधियां भी जंतु नाशक होने के कारण पशुओं के दाद, खाज और खुजली जैसे दर्दनाक चर्म रोग को मूल से नष्ट कर देता है। चमड़ी स्वच्छ और जंतु रहित बन जाती है।
नोट:
करंज के तेल और नीम के तेल से भी मालिश की जा सकती है। B-Tex मरहम की मालिश भी की जा सकती है।