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गौमुत्र से स्वास्थ्य व्यवस्था की क्या जरूरत
5
1.1
परिचय – गाय, भेंस एवं पशु रोगों मे गौमुत्र -आयुर्वेदिक स्वास्थ्य प्रबंधन
1.2
मानव स्वास्थ्य पर पशु रोगों का प्रभाव
1.3
पशु-चिकित्सा में गौमूत्र का महत्व
1.4
पशुओं को गौमुत्र पिलाने के नियम
1.5
पशुओं में बीमारी के कारण
विभिन्न रोगों मे गौमुत्र +आयुर्वेद द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था
23
2.1
थनैला, दूध मे खून आना, सूजन, घाव – दूध निर्माण अवयव संबंधित रोग5
2.2
कृमि1
2.3
गोचिड, किलनी, जूऐं, पिस्सू एंव माइट्स4
2.4
प्रसूति संबंधित रोग2
2.5
दाद, खाज, खुजली
2.6
घाव – नासूर, फोड़ा, व्रण
2.7
सूजन, जोडों और मांसपेशियों मे दर्द, अकडन
2.8
गैस, अपच, मरोड6
2.9
कब्ज, अजीर्ण तथा मंदाग्नि8
2.10
दस्त, पेचिश (Diarrhea – Loose Motion)7
2.11
खांसी, कफ, जुकाम, श्वास
2.12
मलेरिया (बुखार)
2.13
खूर के रोंग या खुरपका-मुंहपका (FMD)3
2.14
ततैया, बिच्छु, कुत्ता या साँप का काटना
2.15
गर्मी से लू लगना (Heat Stroke)
2.16
पेट में प्लास्टिक की थैलियां
2.17
जलना
2.18
आँखों के रोग
2.19
कान के रोग
2.20
गले के रोग
2.21
पथरी, मूत्राशय की बीमारियां
2.22
कैंसर
2.23
टी.बी.
अन्य महत्वपूर्ण बातें
7
3.1
क्या आधुनिक औषधियाँ पशुओं के लिए अभिशाप?
3.2
गीध और समडी के मृत्यु के कारण कल आपकी मृत्यु का कारण भी बन सकता है
3.3
पक्षी सफाई कर्मचारी है – पर्यावरण के रक्षक है
3.4
बीमार पशु का आहार विज्ञान
3.5
पशु बीमार न होने की आचार-संहिता
3.6
पशुओं का स्नान एवं आरोग्य
3.7
मच्छरों से बचाव के उपाय
गौमुत्र +आयुर्वेद = सरल-सस्ता-सुलभ स्वास्थ्य प्रबंधन
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पशुओं का स्नान एवं आरोग्य
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