गोमुत्र (पंचगव्य) केवल देसी नस्ल के गोवंश का( जिसकी पीठ पर कूबड़ होता है) का ही लेना चाहिये किसी विदेशी एचएफ, जर्सी एवं इन दोनों के सम्मिश्रण से बनाई हुई किसी अन्य गाय का कभी नही लेना चाहिये।
छोटे बछड़े या बछड़ी का गोमुत्र श्रेष्ठ होता हैं। हो सके तो इनका ही ले। बड़ी गायों का भी लिया जा सकता है बशर्त गाय स्वस्थ होनी चाहिए।
गोमुत्र स्टील, कांच या मिट्टी के बर्तन में रखा जाना चाहिए। तांबे, पीतल या एल्यूमीनियम के बर्तन में न रखें।
गोमूत्र सुबह ब्रह्मुहुर्त का ही लेना चाहिए। गाय जब सुबह में जागती है तब काफी मात्रा में गोमूत्र देती है। शुरुआत का छोड़कर सीधा बर्तन में प्राप्त करना चाहिए। नीचे गिरे हुए गोमूत्र का उपयोग ना करें।
पशुओं को स्वस्थ गाय का ताज़ा गोमुत्र सूती कपड़े से छानकर ही पिलाना चाहिए। इसे ज्यादा से ज्यादा 12 घंटे में पिला दे।
गोमुत्र स्वस्थ पशुओं के स्वास्थ्य के रक्षण के लिए भी पिलाना अति आवश्यक है। इससे पशुओं की रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है। आयुष्य बढ़ता है। दूध उत्पादक शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
बड़े पशुओं को 250 ग्राम गोमुत्र पिला सकते हैं। बच्चों को वजन और उम्र के हिसाब से 100 से 150 ग्राम पिला सकते हैं। सुबह खाली पेट, पंद्रह दिन में एक बार पिलाए।
गोमूत्र में थोड़ा देसी गुड़ मिलाकर पिलाए। पशु यदि सीधा ना पी सके तो नाल से पिलाए।
गर्भ धारण किये हुए पशु को अंत के 3 महीने गोमुत्र न दे।
यदि आपके पास गोमुत्र में मिलाकर देने वाली उपयुक्त आयुर्वेदिक वनस्पतियां न हो तो इन्हें पंसारी या जत्थे में बेचने वाले आयुर्वेदिक विक्रेता के पास से खरीदें।
वैद्य द्वारा बताई गई सभी वनस्पति ना मिले तो जितनी मिले उतनी का उपयोग करें। तब भी प्राप्त ना हो तो जो है उसे चलेगा। बीमार पशुओं को आयुर्वेदिक औषधि के साथ गौमुत्र पिला सकते हैं।
गोमूत्र का उपयोग मालिश, नस्य, पट्टी, एनीमा, अंजन और पेय आदि क्रियाओं में उपयुक्त है।
गौमूत्र स्वास्थ्य स्वास्थ रक्षणम -गौमुत्र स्वस्थ पशुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक उत्कृष्ट औषधि है।