Curriculum
१.१ गोशालाओं का उद्देश्य एवं कार्यक्रम :
युग निर्माण मिशन (अखिल विश्व गायत्री परिवार) द्वारा स्थापित की जा रही गोशालाओं का उद्देश्य मात्र कुछ गोवंश को पालना भर नहीं है, बल्कि गाै को ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था एवं समग्र विकास की धुरी के रूप में स्थापित करना है। गाय कभी मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान हुआ करती थी, परन्तु टेक्रोलॉजिकल विकास के दौर में मशीनों के बढ़ते प्रयोग, बढ़ती हुई भौतिकता व श्रमहीनता तथा घटते जीवन मूल्यों के साथ ही गौ की उपयोगिता व महत्ता भी कम होती गई। परन्तु दिव्यसत्ताओं द्वारा संचालित विश्वव्यापी परिवर्तन के अभियान की इस महान् बेला में परिस्थितियां फिर तेजी से सही दिशा में करवट ले रही हैं। यह ऋषि परंपराओं व मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना का समय है। ऐसे समय में गाय की उपयोगिता व महत्ता की जनमानस में पुनःस्थापित करना तथा गोपालन को प्रचलन में लाना ऋषि परम्परा का अंग ही नहीं, समय की महान् आवश्यकता भी है जिससे ग्रामीण भारत की अनेक समस्याओं का समाधान जुड़ा है। इस कार्य में गोशालाओं की अहम् भूमिका है। लोगों को गोपालन के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित करना गोशालाओं का महत्वपूर्ण दायित्व है।
अतः गायत्री परिवार द्वारा संचालित गोशालाओं में निम्नलिखित कार्यक्रम संचालित किये जाने हैं-
(१) गोदुग्ध की विशेषताओं को गोष्ठी, हॅन्डबिल, पोस्टर, दीवार-लेखन, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया आदि के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ताकि भैसपालन के स्थान पर गोपालन को प्रोत्साहन मिले।
(२) गोशाला में विभिन्न आर्थिक गतिविधियां चलाकर उसे आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाना ताकि स्थानीय ग्रामीण जनता को यह व्यावहारिक संदेश दिया जा सके कि गाय अपने बलबूते अपने को तथा अपने मालिक को पालने में समर्थ है। किसानों के यहाँ से तथाकथित अनुपयोगी गोवंश छोड़े जाने का प्रवाह घट सके।
(३) गौशाला में अच्छी एवं शुद्ध नस्ल के सांड उपलब्ध करके अपनी गायों की नस्ल में सुधार के साथ-साथ क्षेत्रीय गायों की नस्ल सुधार में सहयोग करना।
(४) गोपालन एवं संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार की विभिन्न गतिविधियां क्षेत्र में संचालित करना।
(५) गोपालकों के लिए ‘गोपालन’ पर प्रशिक्षण आयोजित करना तथा उनके लिए मार्गदर्शन का केन्द्र बनना।
(६) बेरोजगार युवकों के लिए गोपालन के माध्यम से रोजगारपरक प्रशिक्षण को व्यवस्था बनाना।
(७) अन्ततोगत्वा स्वावलम्बी ग्राम्य विकास योजना (ग्रामतीर्थ योजना के अन्तर्गत इन गोशालाओं को रचनात्मक प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित किया जाना है।। अतः इसके लिए तैयारी करना व आवश्यक विधि-व्यवस्था बनाना।
(८) ये गोशालाएं समाज के संसाधनों से चलाई जा रही है अतः विभिन्न लोकोपयोगी गतिविधियों के माध्यम से समाजोत्थान इनका मूल लक्ष्य एवं दायित्व है। इस वृहद् उद्देश्य को दृष्टि में रखते हुए समय-समय पर आवश्यकता एवं परिस्थिति के अनुसार अन्य गतिविधियां भी जोड़ी जाती रहेंगी।